Saturday, April 10, 2010

मेरे पापा


" पापा आप सा नहीं देखा ;

इस जहाँ में कोई कहीं ,

हमारी खातिर कितनी ;

मुश्किलें आपने सहीं,

कितने दुःख सहे आपने ;

पर कभी न दिखी इन आँखों में नमी,

ह्रदय का विस्तार जैसे गगन;

सहनशीलता में जैसे जमीं,

पापा आप सा नहीं देखा;

इस जहाँ में कोई कहीं। "

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