Wednesday, April 14, 2010

!!!! मेरा अनुभव !!!!!!


देखा है मैंने जीत को;

हार की कोख से निकलते हुए,

देखी है मैंने विजय भी ;

मुट्ठियों से फिसलते हुए,

है ज़रूरी बहकाव भी ;

किसी राह पर चलते हुए;

देखा है मैंने विचलनों से द्रढ़ता को पनपते हुए।

है भरी राह निपट काँटों से अगर,

है साथ लिए नयी मुश्किल हर डगर ;

बढाओ कदम साहस से,

हर विपदा को कुचलते हुए,

निश्चय है मंजिल होगी,

अति विरली और सुन्दर,

देखा है मैंने पुष्पों को,

काँटों के बीच महकते हुये।

1 comment:

  1. bahut der tak na bahtak na sakega,
    in raahon par chalte hue.
    kabhi kabhi ata hai andhera bhi ,
    ujalon main jalte hue.
    mat bhool ki tu hai ek jwala ,
    na hogi khak kabhi jalte hue.

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