देखा है मैंने जीत को;
हार की कोख से निकलते हुए,
देखी है मैंने विजय भी ;
मुट्ठियों से फिसलते हुए,
है ज़रूरी बहकाव भी ;
किसी राह पर चलते हुए;
देखा है मैंने विचलनों से द्रढ़ता को पनपते हुए।
है भरी राह निपट काँटों से अगर,
है साथ लिए नयी मुश्किल हर डगर ;
बढाओ कदम साहस से,
हर विपदा को कुचलते हुए,
निश्चय है मंजिल होगी,
अति विरली और सुन्दर,
देखा है मैंने पुष्पों को,
काँटों के बीच महकते हुये।
bahut der tak na bahtak na sakega,
ReplyDeletein raahon par chalte hue.
kabhi kabhi ata hai andhera bhi ,
ujalon main jalte hue.
mat bhool ki tu hai ek jwala ,
na hogi khak kabhi jalte hue.