तन्हाई में छिपके रोना आदत है मेरी;
अकेले में होती यही हालत है मेरी,
कभी देखता हूँ गर्दिश में तारों को चमकते हुए;
कभी देखता हूँ गुलशन में फूलों को महकते हुए
कोयल के साथ साथ गाना आदत है मेरी,
परिंदों को आसमान नापते देखकर ;
मचल जाता है दिल उनको गगन चूमते देखकर;
उनके पंखों की सवारी की खवाहिश है मेरी;
मिलता है सुकून जन्नत का सा जब ;
छिपती है माँ आँचल में मुझे ;
जिंदगी की सबसे बड़ी यही राहत है मेरी,
रात-दिन, शाम-ओ-सहर सब बड़ी चीजें है ;
जिन्दगी का हर पल जी भर के जीना;
एक! बस एक यही चाहत है मेरी।
awesome...................
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