Wednesday, April 14, 2010

!!!! मेरा अनुभव !!!!!!


देखा है मैंने जीत को;

हार की कोख से निकलते हुए,

देखी है मैंने विजय भी ;

मुट्ठियों से फिसलते हुए,

है ज़रूरी बहकाव भी ;

किसी राह पर चलते हुए;

देखा है मैंने विचलनों से द्रढ़ता को पनपते हुए।

है भरी राह निपट काँटों से अगर,

है साथ लिए नयी मुश्किल हर डगर ;

बढाओ कदम साहस से,

हर विपदा को कुचलते हुए,

निश्चय है मंजिल होगी,

अति विरली और सुन्दर,

देखा है मैंने पुष्पों को,

काँटों के बीच महकते हुये।

रात चाँद और हम!!




चाँद फिर निकला उनकी याद लेकर,


बैठे हैं हम भी दिल की थाली संजो कर,


पाले हैं दिल में अरमान कितने,


बसे हैं आँखों में उनके ही सपने ,


देखता हूँ चाँद में जब उनका चेहरा,


लगता है बन जाऊं कोई टूटा हुआ तारा,


जा मिलूँ उनसे और कह डालूँ हाले दिल सारा,


फिर सोचता हूँ की गर बना टूटा हुआ कोई तारा,


न मिल पाऊँगा उनसे कभी दोबारा,


फूटती है रौशनी की इक मासूम किरण,


कर देती है रोशन दिल का गुलशन,


गुनगुनाती है एक मुधुर आवाज़ तभी झनकार बनकर,


तुम न आ सके तो क्या,


लो हम ही आ गए आपकी याद बनकर,


फिर होते हैं वो , हम और यादों के सागर की लहर,


सोचते हैं हम,छाई रहे ये रात यूँही,


न हो कभी बेरहम सहर॥








कौन हूँ मैं?


कौन हूँ मैं कौन हूँ?

अधखिला प्रसून हूँ,

ढूंढता सुकून हूँ,

कभी दर्द हूँ ;कभी आह हूँ,

भटके हुए की राह हूँ,

किसी सुंदरी की चाह हूँ,

किसी ह्रदय का जुनून हूँ,

कौन हूँ मैं कौन हूँ?

कभी वायु सा निशंकु हूँ,

कभी अचर अचल स्तम्भ हूँ,

किसी विटप की छांव हूँ,

किसी बेघर का गाँव हूँ,

कभी दर्द का सैलाव हूँ,

नदी हूँ या पवन हूँ मैं,

या की पुष्प की सुगंध हूँ,

बेचैन मन का चैन हूँ,

कौन हूँ मैं कौन हूँ?

किसी रात्रि का मयंक हूँ,

सागर का प्रलयंक हूँ,

किसी विजय का हार हूँ,

या की ग़म हूँ किसी हर का,

साक्षी हूँ श्रस्ती के विस्तार का,

नीरस की मैं आस हूँ,

द्योतक मैं विकास का,

भविष्य से अनजान हूँ,

श्रेष्टतम की संतान हूँ,

पुरुष हूँ मैं मनुष्य हूँ,

पर अभी सुसुप्त हूँ,

अज्ञानता में लुप्त हूँ॥




Sunday, April 11, 2010

कोना


तन्हाई में छिपके रोना आदत है मेरी;

अकेले में होती यही हालत है मेरी,

कभी देखता हूँ गर्दिश में तारों को चमकते हुए;

कभी देखता हूँ गुलशन में फूलों को महकते हुए

कोयल के साथ साथ गाना आदत है मेरी,

परिंदों को आसमान नापते देखकर ;

मचल जाता है दिल उनको गगन चूमते देखकर;

उनके पंखों की सवारी की खवाहिश है मेरी;

मिलता है सुकून जन्नत का सा जब ;

छिपती है माँ आँचल में मुझे ;

जिंदगी की सबसे बड़ी यही राहत है मेरी,

रात-दिन, शाम-ओ-सहर सब बड़ी चीजें है ;

जिन्दगी का हर पल जी भर के जीना;

एक! बस एक यही चाहत है मेरी।










Saturday, April 10, 2010

FATHER


"A NAME WHICH LEADS US EVERY WHERE;
A TOUCH WHICH SAYS "I CARE";

EVERY TIME I'VE SOMETHING;

YOU ARE READY TO SHARE;

YOU COLLECTED ALL THE THORNS;
SO THAT I CAN COLLECT THE FLOWERS;
IN TOLERANCE NO LESS THAN EARTH;
YOU ARE THE OWNER OF MY BIRTH;
I THANK MY SUPERV FATE;

O!PAPA YOU ARE REALLY REALLY GREAT".
'LOVE YOU DAD'

मेरे पापा


" पापा आप सा नहीं देखा ;

इस जहाँ में कोई कहीं ,

हमारी खातिर कितनी ;

मुश्किलें आपने सहीं,

कितने दुःख सहे आपने ;

पर कभी न दिखी इन आँखों में नमी,

ह्रदय का विस्तार जैसे गगन;

सहनशीलता में जैसे जमीं,

पापा आप सा नहीं देखा;

इस जहाँ में कोई कहीं। "

Friday, April 9, 2010

मम्मा



"A NAME WE CAN FAITH ON;


A TOUCH THE SAFEST ONE;


AN EFFECT INDUCING OUR LIVES;


REGULATING OUR WORLD BEING IN HIVES;


CHEERING WITH OUR SUCCESS;


RECHARGING US AFTER FAILURES;


IN LOVE AND AFFECTION;


STANDS NEXT TO NONE;


NO ONE CAPABLE TO EXPALIN HER;


GOD CAN'T BE EVERYWHERE;


SO HE CREATED THE MOTHER."